Sharda Sinha death : शारदा सिन्हा के ससुराल में हवन हो रहा था, तभी अचानक दिल्ली एम्स से दुखद खबर ने माहौल बदल दिया।

Sharda Sinha death : शारदा सिन्हा के ससुराल में हवन हो रहा था, तभी अचानक दिल्ली एम्स से दुखद खबर ने माहौल बदल दिया।
Sharda Sinha death (1 October 1952 – 5 November 2024) बिहार की मशहूर लोक गायिका और पद्म भूषण एवं पद्म श्री सम्मान से सम्मानित शारदा सिन्हा का दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। वह कई दिनों से बीमार थीं और एम्स में उनका इलाज चल रहा था। बीते कुछ समय से उनकी तबीयत काफी खराब थी और डॉक्टरों की टीम उनकी सेहत पर लगातार नजर रख रही थी। सोमवार की शाम को उनकी हालत अचानक और बिगड़ गई, जिससे उन्हें तुरंत वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। इसके बाद से ही परिवार और उनके प्रशंसकों की चिंता और बढ़ गई थी।
Sharda Sinha death की तबीयत को लेकर हाल ही में उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया था, जिसमें उन्होंने अपनी मां की हालत की जानकारी दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार को अंशुमन से फोन पर बातचीत की और शारदा सिन्हा के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। प्रधानमंत्री ने उन्हें सांत्वना दी और उनके स्वास्थ्य में सुधार की कामना की थी, लेकिन दुर्भाग्यवश यह दुखद समाचार सबके सामने आ गया।

Sharda Sinha death की खबर ने उनके प्रशंसकों और लोक संगीत प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ा दी। बिहार के बेगूसराय जिले के सीहमा गांव में उनके ससुराल में भी दुख का माहौल था। बताया जाता है कि उनके ससुराल के लोग शारदा सिन्हा के प्रति हमेशा से गहरी भावनाएं रखते थे। मंगलवार की सुबह से ही सीहमा गांव में उनके दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए हवन और पूजा का आयोजन किया गया था। ग्रामीणों ने पंचमुखी हनुमान मंदिर में एकत्रित होकर भगवान से प्रार्थना की और शारदा सिन्हा के स्वस्थ होने की कामना की। इस पूजा-पाठ के बीच अचानक एम्स से आई उनकी मौत की खबर ने माहौल को गमगीन कर दिया।

Sharda Sinha का नाम लोक संगीत में एक विशेष स्थान रखता है। उन्होंने न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत में लोक संगीत को एक नई पहचान दिलाई। उनकी आवाज में ऐसी मिठास और गहराई थी जो सीधे लोगों के दिलों को छू जाती थी। उन्होंने छठ गीत, कजरी, सोहर, झिझिया, विदाई गीत जैसे अनेक प्रकार के लोकगीतों को अपनी आवाज दी। उनका छठ गीत “हो दिनानाथ” और “कईसन बेरिया” हर साल छठ पर्व पर लोगों के दिलों में गूंजता है। अपनी मातृभाषा मैथिली, भोजपुरी और मगही में गाए उनके गीत बिहार के लोक जीवन और संस्कृति का सुंदर प्रतिबिंब हैं।
Sharda Sinha death 4 अक्टूबर को उनका आखिरी छठ गीत यूट्यूब पर जारी हुआ था, जिसने एक बार फिर उनके प्रशंसकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। यह गीत भी छठ पर्व पर उनकी श्रद्धांजलि थी और शायद उनके संगीत करियर का अंतिम योगदान साबित हुआ। उनके निधन से उनके चाहने वालों में गहरी निराशा और शोक है। शारदा सिन्हा का इस तरह जाना न केवल संगीत जगत की एक बड़ी क्षति है, बल्कि वह बिहार और बिहार की संस्कृति के लिए भी एक बड़ी हानि है।
Sharda Sinha death बेगूसराय जिले के उनके ससुराल सीहमा गांव के लोगों ने उनकी लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना की थी। गांव वालों का मानना था कि शारदा सिन्हा का उनके ससुराल से गहरा लगाव था और वह हमेशा अपने ससुराल के लोगों का मान-सम्मान करती थीं। इसलिए उनकी बीमारी की खबर सुनते ही गांव के लोग पंचमुखी हनुमान मंदिर में इकट्ठा हुए और उनकी सलामती के लिए हवन व पूजा अर्चना की। ग्रामीणों ने कहा कि शारदा सिन्हा ने अपने गायन के माध्यम से विश्वभर में प्रसिद्धि पाई थी, और उन्हें यह सम्मान देने के लिए उनके ससुराल के लोग उनके स्वास्थ्य की कामना कर रहे थे। परंतु, भगवान को कुछ और ही मंजूर था, और छठी मईया ने इस महान गायिका को अपने पास बुला लिया।
Sharda Sinha death से संगीत प्रेमियों, उनके प्रशंसकों और उनके परिवार में गहरा शोक है। उन्होंने बिहार की लोक संगीत परंपरा को एक नई पहचान दी और उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनकी आवाज और उनके गीत हमेशा जीवित रहेंगे और बिहार की संस्कृति का हिस्सा बने रहेंगे।