किन्नौर कैलाश महादेव का शरद ऋतु का घर कहा जाने वाला खूबसूरत गॉंव, कल्पा।
सतलुज नदी वेल्ली में बसा यह छोटा सा गॉंव है जिसमे हेरिटेज स्थान की सारी खुबिया है। हिमाचल प्रदेश राज्य के जिले किन्नौर में प्रसिद्ध रेकोंग पेओ शहर के ऊपर स्तिथ है। जो महान हिमालय की शृंखला है। यह हिमालय की किन्नौर कैलाश, 6050 मीटर ऊंची, चोटी की तलहटी में बसा है।
कल्पा हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा है जो सुबह और शाम के समय एक मनमोहक छटा आकाश में बिखेर देती है। शहर की भीड़ भाड़ से दूर, यह गांव घंटियों और मंत्रो की धीमी गूजं से मन को एक दम शांत कर है। दिल्ली जैसे बड़े शहरो से दूर होने के कारण यहाँ मनाली , शिमला या मंसूरी जैसी पर्यटको की भीड़ देखने को नहीं मिलती।
यह समुद्र तल से 2759 मीटर की ऊंचाई पर है। साथ में सतलुज नदी गहरी घाटी में बहती है।
यहां हिन्दू और बौद्ध दोनों धर्म के लोग सद्भाव और प्रेम रहते है।
कल्पा का अर्थ क्या है ?
बहुत से लोग कल्पा के अर्थ को जानने के उत्सुक होते है। कल्प का अर्थ बुद्ध और हिन्दू परम्परा में , समय के बहुत बड़े काल को कहा जाता है या फिर इसे ब्रह्मा का दिन भी कहा जाता है –सृष्टि की आरम्भ से अंत तक का काल।
कल्पा का लोकितिहास :
यहाँ दुर्गा माता की पूजा कई रूपों की जाती है। लोक कथाओ की अनुसार किन्नौर , बाणासुर राक्षस द्वारा बसाया गया था जो सतलुज नदी को मानसरोवर तिब्बत से यहाँ लाया और साथ और साथ ही किन्नौर कैलाश चोटी पर स्तिथ चट्टान रूपी महादेव को स्थापित किया। इसे महादेव का शरद ऋतु का घर कहा जाता है।
बाणासुर को मारा नहीं जा सकता था इसलिए माँ दुर्गा ने उसे अपने पैर के अंगूठे के निचे दबा दिया जो अभी भी यहां निवास करती है।
कल्पा को दार्शनिक स्थान होने का अवसर जब मिला जब अंग्रेजी वाइसराय लार्ड डलहौज़ी ने यंहा की यात्रा की और रेंगोंग पेओ को प्रशसनिक हेडक्वॉटर बनाया।
कल्पा के लोग और टूरिज्म :
यहां के लोग हिन्दू और बौद्ध धर्म को मानते और बहुत ही प्रेम से एक दूसरे के साथ रहते है। आपको यहां होटल और होम स्टे दोनों ही रहने के लिए उपलब्ध है। जँहा से आपको सुबह के सूर्योदय का दर्शन और बर्फ ढकी चोटियों को आराम से देख सकते है। भीड़ भाड़ से दूर आप अच्छा समय गुज़ार सकते है।
दार्शनिक स्थल :
यहाँ हिन्दू और बुद्ध धर्म के मंदिर और मोनास्ट्री दार्शनिक स्थान है।
सेब और सुखे मेवे, अखरोठ बादाम आदि के बाग़ बहुत सुन्दर अनुभव देते है। इनमे आपको सुबह सैर करनी चाहिए।
नारायण -नागनी मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो पहाड़ी शैली का लकड़ी से बना खूबसूरत मंदिर है। मंदिर के छप्पर के चारो ओर लकड़ी से बनी झालरें है जो हवा ने एक दूसरे से टकरा कर अद्भुत संगीत उत्पन्न करती है। जैसे लकड़ी की विंड चाइम।
कामरु फोर्ट , पहाड़ी शैली का लकड़ी से बना है यहां भी छप्पर के चारो ओर लकड़ी से बनी झालरें है जो किन्नौर जिले के हर मंदिर में देखी जा सकती है। इसे मंदिर में बदल दिया गया है जो कामख्या माता को समर्प्ति है। चारो और लकड़ी की बालकोनी है और तीसरी मंज़िल पर माता की विशाल मूर्ती है।
बौद्ध मोनस्ट्री जिनमे हु-बू -लान कार गोम्पा , अधिक प्रसिद्ध है, यहां बुद्ध की विशाल प्रतिमा खड़ी अवस्था में है। मोनस्ट्री में मंत्रो की चांटिंग होती रहती है। बाहर आते हुए मार्ग में सेब के बाग़ मिलते है।
सुसाइड पॉइंट
प्रसिद्द सुसाइड पॉइंट, कल्पा से थोड़ा आगे जा कर, रेकोंग पेओ से काज़ा रोड पर एक दिल को सहमा देने वाला मोड है। देवदार के जंगलों से गिरे पहाड़ो में यह एक वीरान मोड़ है। जो अब पर्यटकों में काफी प्रसिद्ध हो गया है और लोग यहां तस्वीरें लेना पसंद करते है।
किन्नौर कैलाश महादेव तक ट्रैकिंग :
किन्नौर कैलाश पंचकैलाश में से एक है। इस चोटी की ऊंचाई समुद्र तल से 6050 मीटर है। कल्पा से महादेव के शिवलिंग रूपी चट्टान तक ट्रेकिंग होती है यह बहुत ही मुश्किल और दुर्गम ट्रेक है। जिसके लिए परमिट और मेडिकल सर्टिफिकेट की आवश्यकता पड़ती है।
मार्ग में भरी बारिश , बर्फ़बारी और भूस्खल के हादसों की असंका रहती है। यह यात्रा हर वर्ष जुलाई या अगस्त में शुरू होती है जो 11 दिन तकि यात्रा है।
यात्रियों को भी इस मार्ग में कचरा , प्लास्टिक आदि नहि फैलाना चाहिए। मार्ग में दुर्लभ जड़ीबूटियों और जंगलो को भी काफी नुकसान पहुँचता है क्यूंकि यात्री पर्यावरण का ख्याल नहीं रखते और गंदगी फैलाते है।
यह सदियों से हिन्दू धर्म की आस्था का केंद्र रहा है। परन्तु पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में हुए यंहा के लोगो ने इस यात्रा पर कुछ समय तक रोक लगाने की मांग की है। जिसे प्रशासन ने मान कर 2019 से इस यात्रा पर रोक लगा दिया है।
कल्पा तक कैसे पहुंचे :
एयरोप्लेन से – सबसे नज़दीक ऐरपोट शिमला है जो कल्पा से 267 कि. मि. दुरी पर है। यह एयरपोर्ट सभी बड़े शहरों जैसे दिल्ली , मुंबई , कोलकता , चंडीरड आदि से जुड़ा है। एयरपोर्ट के बहार से कल्पा तक टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।
ट्रैन से – सबसे नज़दीक रेलवे स्टेशन शिमलाही है। यहां से आप टैक्सी या बस ले सकते है।
रोड से – दिल्ली से कल्पा की दुरी 565 की.मि.है। कार से 14 घंटे में तय कर सकते है। शिमला से हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट की बस भी ले सकते है।
दिल्ली।> शिमला > रामपुर > रेकोंग पेओ > कल्पा
दिल्ली > मनाली > काज़ा > कल्पा
शिमला से कल्पा या मनाली से कल्पा से होते हुए जो भी मार्ग है वो बहुत अधिक रोमांचक और सुंदर प्राकृतिक नजारो से भरा है। जो लोग रोड से यात्रा करना पसंद करते है उनके लिए ये किसी सपने के पुरे होने से कम नहीं है।
पहाड़ो को चिर कर निकलते हुए रोड और नदिया, देवदार के ऊँचे जंगल आपकी साडी थकान मिटा है।
कल्पा की यात्रा सही समय :
यहां गर्मियों का समय जून से सितंबर का समय सबसे अच्छा है। इस समय तापमान 22 डिग्री से 10डिग्री तक रहता है। हाँ , सनस्क्रीन ले जाना जरूर याद रखे क्युकी यहां उचाई अधिक और साफ़ मौसम होने के कारण आपकी त्वचा काली पड़ सकती है।
यंहा सर्दियाँ अक्टूबर से मई तक रहती है। और भरी बर्फबारी होती है जिसकी वजह से रोड ख़राब हो जाते है। तापमान माइनस में चला जाता है।
इसलिए गर्मियों का समय इस यात्रा के लिए अच्छा है।
रोड की दचकियों से ज्यादा , ऊंचे पहाड़ और मन को मोह लेने वाले दृश्य अधिक याद रह जाते है। आपकी शहर की भाग दौड़ की ज़िंदगी से दूर ले जाते है। ये यात्रा जीवन की यादगार यात्रा होगी।
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Nice
Gajab trip