Mahashivratri 2025 : भगवान शिव के विवाह की पौराणिक मान्यता और इस दिन का विशेष महत्व |

Mahashivratri 2025 : भगवान शिव के विवाह की पौराणिक मान्यता और इस दिन का विशेष महत्व |
Mahashivratri 2025 : हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे देश में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के रूप में मनाया जाता है और भक्त इस दिन व्रत, उपवास, रात्रि जागरण और विशेष पूजा करते हैं।
हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को Mahashivratri मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था। इसलिए इसे शिव और शक्ति के मिलन का पर्व भी कहा जाता है।
इस लेख में हम Mahashivratri के महत्व, भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की पौराणिक कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इस दिन के विशेष नियमों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
Mahashivratri 2025 का महत्व
Mahashivratri न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि इसे आत्मचिंतन और भक्ति का त्योहार भी माना जाता है। इस दिन शिव भक्त व्रत रखते हैं, शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और रात भर भगवान शिव का ध्यान और कीर्तन करते हैं।

Mahashivratri 2025 क्यों मनाई जाती है?
• शिव-पार्वती विवाह : माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
• सृष्टि की शुरुआत : कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने ब्रह्मांड की रचना करने के लिए “तांडव नृत्य” किया था।
• मोक्ष प्राप्ति : मोक्ष प्राप्ति के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। जो भी भक्त इस दिन सच्चे मन से शिव की पूजा करता है, उसे जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
• कल्याण दिवस : शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Mahashivratri 2025 और शिव-पार्वती विवाह की पौराणिक कथा
माता सती और भगवान शिव की कहानी
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की पहली पत्नी माता सती थीं, जो राजा दक्ष की पुत्री थीं। राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने भगवान शिव का अपमान किया। यह देखकर माता सती अत्यंत दुखी हुईं और उन्होंने योगबल से अपना शरीर त्याग दिया।
इस घटना के बाद भगवान शिव घोर तपस्या में लीन हो गए। वहीं माता सती ने अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया और शिव को पुनः पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया और उनसे विवाह किया।

भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह
Mahashivratri के दिन भगवान शिव बारात के रूप में हिमालय पहुंचे, जहां देवी पार्वती का उनसे विवाह हुआ। इस विवाह में सभी देवता, ऋषि-मुनि और अन्य दिव्य प्राणी शामिल हुए। भगवान शिव की बारात अत्यंत अद्भुत थी, जिसमें भूत-प्रेत, नाग, गण, देवता और ऋषि-मुनि शामिल थे।
भगवान शिव का यह विवाह शक्ति और शिव के मिलन का प्रतीक माना जाता है, जो इस ब्रह्मांड की संपूर्णता को दर्शाता है।
Mahashivratri 2025 : पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Mahashivratri 2025 का शुभ समय (शुभ मुहूर्त)
• दिनांक : 26 फरवरी 2025
• पूजा का समय : रात 8:00 बजे से अगले दिन सुबह 6:00 बजे तक
• निशिता काल पूजा : रात्रि 12:00 से 12:45 तक
• व्रत पारण का समय : अगले दिन सुबह 6:30 बजे के बाद

Mahashivratri 2025 पूजा विधि
Mahashivratri के दिन भक्त विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस दिन विशेष रूप से रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाता है।
• स्नान एवं संकल्प : सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
• शिवलिंग अभिषेक : शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और बेलपत्र चढ़ाएं।
• धूप-दीप जलाएं : शिवलिंग के सामने घी का दीपक जलाएं और धूप-दीप दिखाएं।
• शिव मंत्र का जाप करें : “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
• पूरी रात जागें : इस दिन जागने का विशेष महत्व है, इसलिए शिव की स्तुति करें।
Mahashivratri 2025 के व्रत के नियम
Mahashivratri का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, लेकिन इसे करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है।
व्रत में क्या करें?
• इस दिन अन्न से दूर रहें और केवल फल खाएं।
• पूरे दिन शिव मंत्रों का जाप करें और भगवान शिव का ध्यान करें।
• पूरी रात जागें और भजन-कीर्तन करें।
• शिवलिंग पर जल और बेलपत्र से अभिषेक करें।
व्रत के दौरान क्या न करें?
• प्याज, लहसुन और मांसाहारी भोजन का सेवन न करें।
• नकारात्मक विचारों से बचें और किसी को अपशब्द न कहें।
• शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते न चढ़ाएं।
Mahashivratri 2025 पर प्रमुख आयोजन
Mahashivratri के दिन देशभर के शिव मंदिरों में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। कुछ प्रमुख मंदिर जहां इस दिन भव्य आयोजन होते हैं:
• काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी
• सोमनाथ मंदिर, गुजरा
• महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन
• बाबा बैद्यनाथ धाम, झारखंड
• रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु
लाखों भक्त इन मंदिरों में दर्शन करने आते हैं और रात भर शिव की पूजा करते हैं।
Mahashivratri 2025 का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व
Mahashivratri को न केवल धार्मिक रूप से बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
• आध्यात्मिक रूप से : यह दिन आत्मनिरीक्षण, ध्यान और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने का अवसर देता है।
• वैज्ञानिक रूप से : इस रात सौरमंडल और पृथ्वी की ऊर्जा सबसे अधिक प्रभावी होती है, जिससे ध्यान और साधना में गहन अनुभव होता है।
निष्कर्ष
Mahashivratri न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि शक्ति और शिव के मिलन का प्रतीक भी है। इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है, सुख-समृद्धि बढ़ती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
अगर आप इस Mahashivratri पर भगवान शिव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखें, मंत्रों का जाप करें और शिवलिंग का अभिषेक करें। इससे जीवन में शुभता और समृद्धि आएगी।
🙏 “हर हर महादेव!” 🚩
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