Govardhan Parvat Parikrama : का महत्व और लाभ क्या हैं? जानिए क्यों होती है ये पवित्र परिक्रमा।

Govardhan Parvat Parikrama : का महत्व और लाभ क्या हैं? जानिए क्यों होती है ये पवित्र परिक्रमा।
Govardhan Parvat Parikrama : इस साल पूरे देश में 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा का पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इस पावन दिन पर भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन महाराज की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने का अत्यधिक महत्व है और इसे शुभ माना गया है। इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Govardhan Parvat Parikrama Govardhan puja और दिवाली के पंचपर्व का महत्व
सनातन धर्म में प्रत्येक पर्व का विशेष स्थान है, और हर त्योहार के साथ जुड़ी हुई परंपराएं और मान्यताएं भी अद्वितीय होती हैं। दिवाली का त्योहार, जिसे पंचपर्व के रूप में मनाया जाता है, पूरे पाँच दिन का उत्सव होता है। इस पंचपर्व का आरंभ धनतेरस से होता है और समापन भाई दूज पर होता है। इसी क्रम में, दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाता है, जो भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दिन श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा भी की जाती है।
Govardhan Puja का समय
इस साल हिंदू पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा की शुरुआत 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 बजे से होगी और इसका समापन 2 नवंबर 2024 को रात 8:21 बजे पर होगा। पूजा का सबसे शुभ समय 2 नवंबर को सुबह 5:34 बजे से 8:46 बजे तक रहेगा, जिस दौरान भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन महाराज की पूजा करना अत्यधिक फलदायी माना गया है।

Govardhan Parvat Parikrama और इसकी पौराणिक कथा
Govardhan Parvat उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में वृंदावन से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इसे गिरिराज जी के नाम से भी जाना जाता है। श्रीमद्भागवत गीता और अन्य धार्मिक ग्रंथों में गोवर्धन पर्वत का उल्लेख श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त और उनके एक प्रतिरूप के रूप में किया गया है। पौराणिक कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण ने जब देखा कि गोकुलवासियों के ऊपर इंद्र देव का प्रकोप मंडरा रहा है, तब उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर सभी गोकुलवासियों की रक्षा की। इस घटना को स्मरण करते हुए भक्तजन गोवर्धन पर्वत की पूजा और परिक्रमा करते हैं। उनका मानना है कि गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से जीवन के सभी दुखों से मुक्ति मिलती है और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
Govardhan Parvat Parikrama कैसे की जाती है?
Govardhan Parvat Parikrama का मार्ग लगभग 21 किलोमीटर का है, जिसे भक्तजन नंगे पैर करते हैं। परिक्रमा के दौरान एक बर्तन में कच्चा दूध भरकर साथ में ले जाया जाता है, जिसमें एक छोटा सा छेद कर दिया जाता है ताकि दूध धीरे-धीरे मार्ग में गिरता रहे। मान्यता है कि यह दूध गिराते हुए परिक्रमा करना गोवर्धन महाराज को अर्पण का प्रतीक है और इस परिक्रमा के बिना गोवर्धन की यात्रा अधूरी मानी जाती है। हालांकि, कुछ भक्तजन इस परंपरा का पालन नहीं करते हैं और सीधे गोवर्धन पर्वत पर दूध अर्पित कर देते हैं।
Govardhan Parvat Parikrama का लाभ
Govardhan Parvat Parikrama का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में सात बार गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा पूरी करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्तजन यह भी मानते हैं कि गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार होता है। इसके अलावा, यह परिक्रमा भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा को प्राप्त करने का एक माध्यम है, जो भक्तजन के जीवन में आशीर्वाद और आनंद का संचार करती है।

Govardhan Puja के दौरान छप्पन भोग का आयोजन
Govardhan Puja के दिन विशेष रूप से श्रीकृष्ण को छप्पन भोग अर्पित किया जाता है। इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि Govardhan Parvat को उठाते समय भगवान कृष्ण ने कई दिनों तक भोजन नहीं किया था। इस घटना को स्मरण करते हुए भक्तजन उनके प्रति अपनी भक्ति अर्पित करने के लिए छप्पन प्रकार के व्यंजनों से उनकी पूजा करते हैं। छप्पन भोग में मिठाइयाँ, फल, अनाज और अन्य स्वादिष्ट पकवान शामिल होते हैं, जिन्हें भगवान को अर्पण कर प्रसाद के रूप में वितरण किया जाता है।
गोवर्धन पूजा और पर्यावरण संरक्षण का संदेश
Govardhan Puja का एक और महत्वपूर्ण संदेश पर्यावरण संरक्षण से भी जुड़ा है। श्रीकृष्ण ने Govardhan Parvat के माध्यम से यह संदेश दिया कि प्रकृति की पूजा और संरक्षण करना अत्यंत आवश्यक है। Govardhan Parvat , जिसे हिंदू धर्म में भगवान के रूप में पूजनीय माना गया है, वास्तव में हमें यह सिखाता है कि हमें पर्वतों, नदियों और जंगलों का आदर करना चाहिए और उनके संरक्षण के लिए काम करना चाहिए। Govardhan Puja हमें प्रकृति से जुड़ने और इसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की प्रेरणा देती है।
Govardhan Puja केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि एक ऐसा पर्व है जो भक्तों को भक्ति, निष्ठा और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। इस पर्व के माध्यम से भक्तजन अपनी सभी परेशानियों का निवारण पाते हैं और भगवान कृष्ण के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं।