Chhath Puja History : जानें कैसे शुरू हुई छठ पूजा और क्या है इसका महत्व, क्यों मनाते हैं यह विशेष पर्व।

Chhath Puja History

Chhath Puja History : जानें कैसे शुरू हुई छठ पूजा और क्या है इसका महत्व, क्यों मनाते हैं यह विशेष पर्व।

Chhath Puja History : छठ पूजा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला पर्व है, जो कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को चार दिनों तक विधिपूर्वक मनाया जाता है, जिसमें श्रद्धालु अपने परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा करते हैं। इस पर्व के साथ राजा प्रियव्रत और महाभारत के पात्रों से जुड़ी कई पौराणिक कहानियाँ भी मिलती हैं, जो इसकी ऐतिहासिकता और पौराणिक महत्ता को दर्शाती हैं।

Chhath Puja History की पौराणिक कथा
Chhath Puja का प्रारंभ कैसे हुआ, इसके पीछे एक प्राचीन कथा जुड़ी हैराजा प्रियव्रत और रानी मालिनी के पास कोई संतान नहीं थी, जिस कारण वे बेहद दुखी रहते थे। उन्होंने अपनी समस्या का समाधान जानने के लिए महर्षि कश्यप का मार्गदर्शन लिया। महर्षि कश्यप ने उन्हें पुत्रेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी। इस यज्ञ के दौरान विशेष आहुति तैयार की गई थी, जिसे रानी मालिनी को प्रसाद स्वरूप ग्रहण कराया गया। प्रसाद ग्रहण करने के बाद रानी गर्भवती हुईं, लेकिन जब पुत्र का जन्म हुआ तो वह मृत था। यह देखकर राजा और रानी बहुत ही आहत हो गए और शोक में डूब गए।

इसी दौरान राजा प्रियव्रत पुत्र के शव को लेकर श्मशान की ओर गए और अपने दुख के कारण प्राण त्यागने का विचार करने लगे। तभी भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री देवी षष्ठी प्रकट हुईं। उन्होंने राजा प्रियव्रत को कहा, “मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूँ और इसलिए मुझे षष्ठी देवी कहा जाता है। आप मेरी पूजा करें और लोगों के बीच इस पूजा का प्रचार-प्रसार करें।” देवी षष्ठी ने उन्हें पुत्र के जीवित होने का आशीर्वाद दिया और कहा कि वे कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को उनका व्रत रखें।

राजा प्रियव्रत ने देवी षष्ठी के आदेश का पालन करते हुए विधिपूर्वक व्रत किया। इस व्रत के फलस्वरूप उनके पुत्र को पुनर्जीवन मिला। इसके बाद राजा ने अपने नगरवासियों को देवी षष्ठी की महिमा बताई और तभी से इस पूजा का आरंभ हुआ। कहा जाता है कि राजा प्रियव्रत के बाद इस व्रत को आम जनमानस में भी लोकप्रियता मिली और धीरे-धीरे यह एक सामाजिक पर्व बन गया।

Chhath Puja History

रामायण और महाभारत में Chhath Puja का विवरण
छठ पूजा का उल्लेख रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन महाकाव्यों में भी मिलता है, जो इस पर्व की पौराणिकता को प्रमाणित करता है। रामायण के अनुसार, जब भगवान राम रावण का वध कर अयोध्या लौटे, तब कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर माता सीता ने कुल की सुख-समृद्धि और शांति के लिए सूर्यदेव और षष्ठी देवी का व्रत किया। इसके माध्यम से भगवान राम और माता सीता ने यह परंपरा जनमानस में स्थापित की, जो कालांतर में Chhath Puja के रूप में विकसित हुई।

महाभारत में भी इस व्रत का उल्लेख मिलता है। जब पांडव अपने राज्य से वंचित होकर वनवास में थे, तब द्रौपदी ने अपने पतियों की रक्षा, खोया हुआ राजपाट वापस पाने, और उनकी सुख-समृद्धि के लिए इस व्रत का पालन किया। उन्होंने सूर्यदेव और षष्ठी देवी की पूजा कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। इस प्रकार छठ पूजा का पौराणिक महत्व स्पष्ट रूप से त्रेता और द्वापर युग में देखने को मिलता है, जो इसके धार्मिक महत्त्व को और भी सुदृढ़ करता है।

Chhath Puja History के चार दिन
Chhath Puja History चार दिनों तक चलने वाला पर्व है, जिसमें प्रत्येक दिन का विशेष महत्व होता है। पहले दिन को नहाय-खाय कहते हैं, जिसमें व्रती गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कर पवित्रता का पालन करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। दूसरे दिन को खरना कहते हैं, जिसमें दिनभर उपवास रखा जाता है और शाम को गुड़ और चावल से बनी खीर का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है, जिसमें व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करते हैं। चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। इन चार दिनों की पूजा में श्रद्धालु जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं और छठी माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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Chhath Puja History का महत्व
Chhath Puja का मुख्य उद्देश्य भगवान सूर्य की उपासना करना है, जो ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि के देवता माने जाते हैं। सूर्यदेव की पूजा से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शक्ति प्रदान करता है। इसके अलावा, छठी माता का आशीर्वाद प्राप्त करने से संतान सुख, परिवार की समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना पूरी होती है।

इस पर्व में प्रदूषण रहित वातावरण, शुद्ध भोजन, तथा सात्विक आचरण का पालन किया जाता है, जिससे व्यक्ति के तन-मन की शुद्धि होती है। यही कारण है कि Chhath Puja History को न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान बल्कि प्रकृति और स्वच्छता के प्रति आस्था के पर्व के रूप में भी देखा जाता है।

इस प्रकार Chhath Puja History एक अद्भुत पर्व है, जो समाज में श्रद्धा, विश्वास, और सात्विक जीवनशैली का संदेश देता है। इसका पालन करते हुए लोग अपने जीवन में संतुलन, शांति, और आनंद का अनुभव करते हैं।

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