Chhath Pooja 2024 : शुभ तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व जानें।

Chhath Pooja 2024 : शुभ तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व जानें।
Chhath Pooja 2024 का अर्थ और महत्व
Chhath Pooja एक पवित्र पर्व है जो मुख्य रूप से सूर्य देवता और छठ मैया को समर्पित होता है। इस पर्व में सूर्य देवता, जो ऊर्जा और स्वास्थ्य के प्रतीक माने जाते हैं, की पूजा की जाती है। छठ मैया को संतान और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है। छठ पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, और पूर्वांचल के क्षेत्रों में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है, लेकिन अब यह भारत के विभिन्न हिस्सों और विदेशों में भी प्रचलित हो चुका है।
Chhath Pooja 2024 के चार दिनों की प्रक्रिया
यह पर्व चार दिनों का होता है, जिसमें व्रती (व्रत करने वाले) शुद्धता, संयम, और कठिन तप का पालन करते हैं। इस पर्व की शुरुआत चतुर्थी तिथि को होती है और समापन सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होता है। आइए जानते हैं
प्रत्येक दिन का महत्व और पूजा की विधि:
नहाय-खाय (5 नवंबर 2024)

इस दिन श्रद्धालु किसी नदी या तालाब में स्नान करते हैं और अपने आहार में केवल शुद्ध और सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। भोजन में कद्दू की सब्जी, चने की दाल, और भात का विशेष महत्व होता है। यह दिन व्रती के शरीर और मन की शुद्धि का प्रतीक है, और इसी के साथ छठ पर्व का पहला चरण संपन्न होता है।
खरना (6 नवंबर 2024)

दूसरे दिन को खरना कहते हैं। इस दिन व्रती दिनभर का निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को पूजा के बाद प्रसाद के रूप में गुड़ की खीर, रोटी और फल का सेवन करते हैं। इस प्रसाद को परिवार के सभी सदस्य एक साथ ग्रहण करते हैं। इस दिन का उपवास व्रती के संकल्प और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
संध्या अर्घ्य (7 नवंबर 2024)

तीसरे दिन संध्या अर्घ्य का आयोजन होता है। व्रती सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे कमर तक जल में खड़े होकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, जब श्रद्धालु सूर्य देव को अर्घ्य देकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करते हैं। अर्घ्य देने के समय व्रती “कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये” जैसे परंपरागत गीत गाते हैं।
प्रातःकालीन अर्घ्य (8 नवंबर 2024)

चौथे और अंतिम दिन, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन किया जाता है। व्रती और श्रद्धालु नदी के किनारे उगते सूर्य का स्वागत करते हैं और अर्घ्य अर्पित करते हैं। इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है, जिसमें प्रसाद का वितरण किया जाता है और परिवार के सदस्यों के साथ इसे साझा किया जाता है।
Chhath Pooja 2024 की मान्यता और इतिहास
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठ मैया ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्य देवता की बहन मानी जाती हैं। उन्हें संतान की रक्षा और संतान सुख प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। छठ पूजा की शुरुआत राजा प्रियव्रत ने सतयुग में की थी। एक कथा के अनुसार, उनकी पत्नी ने पुत्र सुख की कामना की और कठिन तपस्या कर सूर्य देव और छठ मैया की पूजा की। इसके फलस्वरूप उन्हें संतान का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

Chhath Pooja 2024 का प्रसाद
Chhath Pooja 2024 में प्रसाद का विशेष महत्व है। प्रसाद में ठेकुआ, मालपुआ, चावल के लड्डू, फल, नारियल, और गन्ना का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। यह प्रसाद पूरी तरह से शुद्ध सामग्री से तैयार किया जाता है और इसे सूर्य देव और छठ मैया को अर्पित किया जाता है।
Chhath Pooja 2024 के पारंपरिक गीत और भक्ति भावना
Chhath Pooja के दौरान विशेष पारंपरिक गीत गाए जाते हैं, जो इस पर्व के प्रति भक्तों की आस्था और प्रेम को दर्शाते हैं। कुछ प्रमुख गीत इस प्रकार हैं:
“कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये…“
यह गीत Chhath Pooja के दौरान बहुत प्रचलित है और इसे अर्घ्य देते समय गाया जाता है।
“उग हो सूरज देव, भइल अर्घ के बेर…“
इस गीत में उगते सूर्य से प्रार्थना की जाती है और व्रती अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं।
“केलवा के पात पर उगेलन सूरज देव…“
इस गीत में Chhath Pooja के दिन के आनंद का वर्णन किया गया है।
“पटना के घाट पर, भोर के बेला…“
यह गीत बिहार के पटना घाट पर छठ पूजा Chhath Pooja के आयोजन की महिमा को दर्शाता है।
“हे छठी मैया, हम बानी तोहार पुजारी…“
यह गीत भक्तों द्वारा Chhath Pooja को समर्पित है, जिसमें उनकी कृपा की प्रार्थना की जाती है।
Chhath Pooja का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक पक्ष
Chhath Pooja में सूर्य की उपासना का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों ही पक्ष हैं। सूर्य से हमें ऊर्जा और स्वास्थ्य मिलता है। सूर्य की किरणों से न केवल हमारी शारीरिक शक्ति बढ़ती है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मकता का संचार भी होता है। जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देने की प्रक्रिया भी हमारे स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाती है और इसे मानसिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
Chhath Pooja 2024 के लाभ और महत्व
Chhath Pooja को एक कठिन तपस्या माना गया है, क्योंकि इस दौरान श्रद्धालुओं को कड़े नियमों का पालन करना होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस पूजा से संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और परिवार के लिए समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सूर्य देवता और Chhath मैया की कृपा से व्रती के परिवार में सुख-शांति और सकारात्मकता का संचार होता है।
Chhath Pooja केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक धार्मिक यात्रा है, जिसमें शुद्धता, भक्ति, तपस्या और अनुशासन का पालन होता है। इस पर्व में भक्त अपने तन, मन, और आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।