Big scam in Jal Jeevan Mission in MP, गांवों में लगे नल कनेक्शन लेकिन पानी सप्लाई अब तक नहीं |

Big scam in Jal Jeevan Mission in MP, गांवों में लगे नल कनेक्शन लेकिन पानी सप्लाई अब तक नहीं |
Big scam in Jal Jeevan Mission in MP : केवल 209 गांवों में मानकों पर खरे उतरे कार्य
प्रधानमंत्री ने इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने का संकल्प लिया था। यह योजना मार्च 2024 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, मध्य प्रदेश में इस योजना का क्रियान्वयन अपेक्षाओं से कहीं कमतर साबित हुआ है।
Big scam in Jal Jeevan Mission in MP जमीनी हकीकत : केवल 209 गांव सफल
केंद्र सरकार ने जुलाई 2024 में मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन के कार्यों की जांच के लिए एक निजी एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपी। प्रदेश के 1,271 सर्टिफाइड गांवों में इस एजेंसी ने सर्वेक्षण किया। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से केवल 209 गांव ही ऐसे पाए गए जहां जल जीवन मिशन के तहत किए गए कार्य सभी मानकों पर खरे उतरे। शेष गांवों में या तो अधूरे कार्य पाए गए या गुणवत्ताहीन।
इस जांच में 217 गांव ऐसे निकले, जहां नल कनेक्शन तो उपलब्ध हैं, लेकिन पानी की सप्लाई नहीं हो रही है। इसके अलावा 13 गांव ऐसे हैं जहां नल कनेक्शन तक नहीं लगाए गए, बावजूद इसके कार्य पूरा दिखा दिया गया। अलीराजपुर और सिंगरौली जिलों में स्थिति सबसे खराब पाई गई।

Big scam in Jal Jeevan Mission in MP पेयजल की गुणवत्ता पर सवाल
जांच में पानी की गुणवत्ता को लेकर भी गंभीर खामियां सामने आईं। 778 गांवों से लिए गए पानी के सैंपल में से 390 सैंपल अमानक पाए गए। इनमें बैक्टीरियल संक्रमण मिला, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह जांच जुलाई में की गई, जब मानसून के कारण भूजल स्तर बेहतर स्थिति में होता है। इसके बावजूद इतनी खराब गुणवत्ता वाली रिपोर्ट ने योजना की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया।
Big scam in Jal Jeevan Mission in MP केंद्र ने प्रदेश सरकार को भेजी रिपोर्ट
19 नवंबर को केंद्र सरकार ने जांच रिपोर्ट मध्य प्रदेश सरकार को सौंपी। इसके बाद लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग ने प्रमुख अभियंता से इस मामले में जवाब तलब किया है। अवर सचिव शैलेष कुमार जैन ने पत्र लिखकर पूछा कि इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गई है और यदि कार्रवाई हुई है तो उसकी स्थिति क्या है।
Big scam in Jal Jeevan Mission in MP भ्रष्टाचार के आरोप और विपक्ष का हमला
जल जीवन मिशन में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर विपक्ष लगातार राज्य सरकार पर निशाना साध रहा है। मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे 20,000 करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला करार दिया है। उन्होंने सरकार से इस मामले में गहन जांच की मांग की है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने भी इस योजना में अफसरों, नेताओं और ठेकेदारों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उनका कहना है कि प्रदेश में जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

Big scam in Jal Jeevan Mission in MP जनता की उम्मीदों पर पानी
मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खुलासे से जनता की उम्मीदों को गहरा झटका लगा है। यह योजना हर घर तक शुद्ध जल पहुंचाने का सपना लेकर आई थी, लेकिन वास्तविकता में यह ग्रामीण इलाकों के लिए सिरदर्द बन गई है।
जो गांव सर्टिफाइड किए गए, वहां भी कई जगह अधूरी सुविधाएं हैं। जहां नल कनेक्शन हैं, वहां पानी की नियमित आपूर्ति नहीं है। कुछ गांवों में तो अभी तक नल कनेक्शन ही नहीं लगाए गए, जबकि कागजों पर कार्य पूरा दर्शा दिया गया।
Big scam in Jal Jeevan Mission in MP सरकारी तंत्र की असफलता
यह मामला प्रदेश में सरकारी तंत्र की खामियों और ठेकेदारी प्रथा के दुष्प्रभावों को उजागर करता है। जल जीवन मिशन जैसी बड़ी और महत्वपूर्ण योजना का उद्देश्य केवल तकनीकी कार्य नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर वास्तविक बदलाव लाना था। लेकिन कागजी प्रक्रियाओं और भ्रष्टाचार ने इस उद्देश्य को धूमिल कर दिया।
आगे की राह
मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को इस मामले में सख्त कदम उठाने होंगे। योजना में शामिल अधिकारियों, ठेकेदारों और अन्य जिम्मेदार पक्षों के खिलाफ पारदर्शी जांच आवश्यक है। इसके साथ ही, नल कनेक्शन और पानी की आपूर्ति से संबंधित कार्यों को फिर से जांचने की जरूरत है।
सरकार को जनता का विश्वास पुनः अर्जित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। जल जीवन मिशन को केवल कागजों पर ही नहीं, बल्कि धरातल पर सफल बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए जवाबदेही तय करना और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना अत्यंत जरूरी है।
निष्कर्ष
जल जीवन मिशन, जो ग्रामीण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण योजना के रूप में शुरू हुई थी, मध्य प्रदेश में अपनी मूल भावना से भटक गई है। केवल 209 गांवों में मानकों के अनुसार कार्य पूरा होना इस बात का प्रमाण है कि योजना के क्रियान्वयन में गंभीर खामियां रही हैं।
भ्रष्टाचार और प्रशासनिक विफलताओं ने इसे ग्रामीण जनता के लिए निराशा में बदल दिया है। अब यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह योजना की खामियों को दूर करे, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे और सुनिश्चित करे कि जल जीवन मिशन का लाभ हर घर तक पहुंचे।
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